– हिमाचल प्रदेश में कल से अब तक चार नए मामले कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं। यानी केस बढ़ते जा रहे हैं। केस बढ़ते रहे तो ऐसा न हो कि आदमी, आदमी न रहे, केवल केस भर रह जाए। आततायी है कोरोना… अंधा है कोरोना। यह नहीं देखता कि वीआइपी कौन है, स्टिकर वाली गाड़ी किसकी है, सब्‍जी वाली किसकी है, अनाज वाली किसकी है…। इसे तो मौका चाहिए। फ्रंटलाइन वारियर्स की मजबूरी है कि उन्‍हें कानून-व्‍यवस्‍था या दीगर व्‍यवस्‍था बनाने के लिए घर से निकलना पड़ता है, वे थूक झेलते हैं, पत्‍थर झेलते हैं… बच्‍चों से दूरी झेलते हैं, घरों से दूरी झेलते हैं, जो रोज घर जाते हैं, पहले नहाते हैं , चाहे रात के कितने भी बजे हों…फिर परिवार के साथ मिलते हैं। जाहिर है, इसमें वे पत्रकार भी हैं जो चुपचाप आपके लिए अखबार बनाते हैं। वे घर से दफ़्तर जाते हैं और दफ्तर से घर। वे माइक नहीं ठूंस रहे होते किसी के मुंह में। रोगी से नफरत करना अमानवीय कृत्‍य है। उनसे नफरत नहीं इसलिए अस्‍पताल अपना फर्ज निभा रहे हैं।

-लेकिन जो नॉस्‍टेल्जिया का शिकार होकर सामान की गाडि़यों में स्‍वयं ठुंस कर कोरोना को दावत दे रहे हैं, प्रभाव और रसूख दिखा रहे हैं, उनके साथ भी कोरोना का कोई मैत्री अनुबंध संभव नहीं है। कोरोना अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश का नहीं हुआ, आपके वैलिड पास या जुगाड़ को या तफरीह के शौक को कैसे समझेगा। जिन फ्रंटलाइन वारियर्स के दूध पीते बच्‍चों के नथुने घरों में मां की खुशबू के लिए तरस रहे हैं, उनसे पूछिए कि कोरोना क्‍या है। उस पुलिस वाले से पूछिए जिसे रात हो या दिन, चौक पर बैरिकेड से गुजरता हर वाहन कोरोना का एजेंट दिखता है। दरअसल कुछ लोग सिस्‍टम को बेवकूफ नहीं बना रहे, खुद को बना रहे हैं। पास को फेल ही होना है अगर उसका दुरुपयोग हुआ तो।

– लुधियाना के एसीपी कोरोना से हार गए। शहीद हुए। हमारे देश का एक सेहतमंद बहादुर अफसर चला गया। उनकी शहादत का मान रखना बेहद जरूरी है।

– कोरोना किसी को नहीं बख्‍श रहा है। कुत्‍ते को घुमाने के बहाने मॉर्निंग वाक जरूरी है क्‍या। अंट- शंट बहाने लगा कर घूमना, पहुंच दिखाना या फिर अवैध रूप से इधर से उधर होना अनिवार्य है क्‍या।

– कोरोना संक्रांमक रोग है। बददिमाग रोग है। यह किसी को नहीं पहचानता। सब इसके शिकार हो सकते हैं। लापरवाह लोग अधिक शिकार होंगे। इसलिए कुछ दिन जिम्‍मेदार नागरिक बनिए। नहीं बन सकते तो स्‍वार्थी हो जाइए। खुद से ही प्‍यार कर लीजिए।

कसौली में लॉकडाउन  का असर